"बिटिया"(कविता)
"1"
कौन से उसके "माँ - बापू" ?
और कौन-सा उसका "भाई"?
गर इतना है "लाड़" बता दो,
क्यों बिटिया हुई "पराई"?
जिस घर में वो "खेली-कूदी",
जिस घर में लिया "जन्म",
जिस आँगन में झूला "झूला",
वही हो गया नम,
कैसी है ये रीत जहां की?
क्या समझे रघुराई?
और कौन-सा उसका "भाई"?
"2"
जब थी मायके में "बेटी",
तब तक किया "दुलार",
कभी चूमकर "माथा" उसका,
कभी "डाँट- फटकार",
कभी भाई का "गुस्सा" फूटा,
कभी दिया दुत्तकार,
"रक्षाबंधन" के मौके पर,
बन जाता भगवान,
समझ न आई "प्रेम" की भाषा,
क्या समझे वो "माई"?,
कौन-से उसके "माँ-बापू",
और कौन-सा उसका "भाई"?
"3"
घर की "लाज"के ख़ातिर उसने,
चूर किये थे "सपने",
फ़िर भी नही मिले "उसको",
घर में ही कुछ "अपने",
किससे कहे वो "दुःखडा"अपना?
लिए आँख में "पानी",
"मर" जाएगी घुट कर शायद?,
सबकी यही "कहानी",
पीड़ा देकर सब "हँसते"हैं,
"शर्म" नही है आई,
कौन-से उसके "माँ-बापू"?
और कौन-सा उसका "भाई"?
"4"
कभी "घूमने" की आशा में,
माँगे पिता से "भीख",
लुट जायेगी "इज्ज़त" तेरी,
पिता पड़े है "चीख",
फिर उसने ख़ुद को "समझाया",
मचल-मचल कर "रोए",
जाने कौन है अपना "मेरा",?
इसी सोच में "खोए",
समझ गई वो इस दुनिया को,
ले-लेकर "अँगड़ाई",
कौन-से उसके "माँ बापू",?
और कौन-सा उसका "भाई"?
---शालिनी वर्मा(लेखिका)💐
"फर्रुखाबाद"(उत्तर प्रदेश)
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